Facts About malkin ki malish Revealed

कुछ ऐसी गलतियां हैं जिन्हें आपको बच्चे की मालिश करते समय नहीं करनी चाहिए -

हम सभी जानते हैं कि नवजात शिशु के लिए मालिश कितनी जरूरी है लेकिन बहुत कम लोग ही click here इस बात से वाकिफ होते हैं कि शिशु के मालिश कब शुरू करनी चाहिए और मालिश करने की विधि क्‍या है।

इसके लिए आपको अपने बच्चे को पेट के बल लेटाना होता है। पीठ की मालिश शुरु करने से पहले बच्चों के हाथों को अगल-बगल न रखकर सामने की ओर रखें।

मालिश वाले कमरे में उचित रोशनी होना महत्वपूर्ण है, जितना संभव हो प्राकृतिक रोशनी को कमरे में आने दें। (और पढ़ें - डायपर रैश को दूर करने के घरेलू नुस्खे)

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ध्यान रखें कि, मालिश के शुरुआती दौर में आपका बच्चा असहज महसूस कर सकता है, क्योंकि यह उसके लिए एक नया अनुभव होता है। लेकिन जब आप बार-बार मालिश करती हैं तो वह इससे परेशान होने के बजाय आनंद लेने लगता है।

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मालिश करते समय बच्चे के शरीर पर बहुत ज़्यादा दबाव ना दें। हल्के दबाव से मालिश करें।

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मसाज से दिमाग शांत होता है जिससे नींद अच्छी आती है। इससे आप सुबह भरपूर और सुखद नींद के बाद जब उठते हैं, तो आप में ऊर्जा ज़्यादा होती है और दिन के अंत में थकान कम महसूस होती है।

मसाज करने से शरीर के मुलायम उत्तक उत्तेजित होते हैं और रक्त व लिम्फाटिक प्रणाली से विषाक्त पदार्थों को निकालने में मदद करते हैं।

मसाज कई समस्याएं जैसे कमर में दर्द और मांसपेशियों में अकड़न को कम करता है। मसाज करते समय जहाँ दर्द हो, उस जगह की हलकी मालिश करने से दर्द कम हो सकता है। इसके लिए अगर आप किसी पेशेवर मसाज थेरेपिस्ट के पास जा सकें, तो ज्यादा फायदा होगा।

शिशु के जन्‍म के कुछ हफ्तों बाद आप मालिश करना शुरू कर सकते हैं लेकिन इसके लिए आपको बच्‍चे के मूड का भी खास ख्‍याल रखना है। मसाज के समय पर शिशु शांत और सचेत होना चाहिए। मालिश करने का तरीका ऐसा न अपनाएं जो बच्‍चे को सहज महसूस करवाए।

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